Wednesday 3 June 2020

ये मौसम है पतझड़ का



Ye moasam hai patjhad ka
 tutata hai to tut jane do..
Uljhane saaf hogi ek din,
hawaa to bhi akad dikhane do

Duba hu samandar me,
Bulbule hai nigaho par..
Kabhi raste hai pani me
Kabhi pani hai kinaro par

Kashmkash hai mahobbat ki,
Aag lipti hai panaho me
Kabhi badal garazate hai
Barish hai nigaho me  !

                     Yogesh Bairwa



Thursday 19 December 2019

जब गलत आता है अधिकार में !



विकास, बेरोजगारी, आर्थिकी सब भूल गए है,
सुनो एक झुनझुना छोड़ा है बाजार में ।

CAB, NRC तो हल्ला है लाचारी का,
असली खबर तो आई है अखबार में ।।

लोगो को मारो, फिर उनको ही गलत ठहरा दो तुम,
ऐसा कहा देखा होगा तुम सबने शिष्टाचार में ।

मैं ही हूँ, या मैं ही सबका करता धर्ता हूँ,
यही होता है जब गलत आता है अधिकार में ।

पहले तो अल्प थे, या फिर दलित बताया था,
देश बदल लो, अभी अभी समाचार में आया था ।

रैलीया करेंगे तो शायद सही हो जायेगा, ये हम सोचते है,
उनके कान बंद हैं अभी, हम गलत है उनके विचार में ।

आज तो ये मुद्दा है , कल कोई और ढूंढ लाएंगे
 हम ही बेईमानो को ढूंढके लाते है सरकार में ।

                                               योगेश बैरवा





Tuesday 24 September 2019

रात का बाजार !



रात का बाजार है, ख्वाबो की बस्ती
एक ख्याल है तेरा, और एक मेरी हस्ती ।

चाबुक सा चुबता है ,ये रात का अँधेरा
खुली आँख को इन्तेजार है, कब होगा सवेरा ।

आवाज़ है एक सरसराती,अजीब सा एक डर है
दिल के सारे पुरजे है बिखरे, मन हुआ बेघर है  ।

रौशनी कही दूर जली है, वहा जाना मुमकिन नही
मौसम है सर्द रात का , पतझड़ का आना मुमकिन नहीं ।

काटों की दीवार से पार हो गया हूँ ,
रात का मंजर देख कर, उजाले से मिल गया हूँ ।

                                               योगेश बैरवा





English translation : available soon



Saturday 22 June 2019

कशिश आँखों में हैं बेपनाह !



जो दिल, दिल से जुड़े हैं
लफ्जो में कैसे बयां करूँ
कशिश आँखों में है बेपनाह
 बातो में कैसे जिंदा करूँ ।

सहूलियत होगी अगर, देखो मुझे,
देखो मेरा अंदाज़, देखो मेरी आँखे,
होटों पर है सरसराहट, कलम से
कागज़ को कैसे ख़त में भरू ।।

लापरवाह भी हूँ, हूँ ज़रा कमजोर इश्क़ में
लोग कहें नज़्में मगर, मैं दर्द समेटूं अश्क़ में
दर्द की मरहम दर्द है ,काटों में कैसे चलूँ
कशिश आँखों में है बेपनाह
बातो में कैसे ज़िंदा करूँ ।।।

                                             योगेश



   



English subtitles :- will be available soon !

Friday 4 January 2019

तुम आ जाओ !



साँझ ढले तो तुम आ जाओ
झुल्फो में अपने मुझे तुम छुपा लो
लगाकर गले से मुझे प्यार करना
साँसों से मेरी सांसो को मिला लो

अगर कोई गम है मुझे तुम बताओ
अगर आँख नम है आँसु न छुपाओ
चुराकर नजारो को, खुशी ढूंढ लाऊ
चेहरे पे अपने उसे तुम सजा लो

मेरे दिल की हर एक गली में
सुना हो सब कुछ, तुम ही झिलमिलाओ
काँटों के राहो पर , बस में चलूँगा
राहो को अपनी फूलो से सजालो ।

                                         योगेश







Friday 28 September 2018

हमारा अस्तित्व



तुझे कुछ अच्छा बनाना था, उसने खुद को मिटाया
तेरा अस्तित्व बनाने के लिए, उसने अपना अस्तित्व मिटाया

अब मोल भाव भी करलो , क्या कर्जा चूका पाओगे
ना जाने कितनी राते जाग कर, तुझे चैन की नींद सुलाया

तू भूल जा उन्हें या छोड़ दे , क्या दिल गवाही देता है
अरे खुद काँटों की पगडंडी पर चले, तुझे गोद में उठाया

तेरी चोट पर तू रोया , लेकिन दर्द उन्हें ज्यादा था
खुद कभी भूखे भी रहे , तुझे भर पेट खिलाया

ना जाने अब क्या हुआ है, इस दुनिया के बेटो को
माँ-बाप को भूखा रखा, और मंदिर में खाना चढ़ाया

साथ रहो और बात करो , तुम ही उनका सहारा हो
ये मंदिर-मस्जिद सब धूल है, अगर माँ बाप को रुलाया ।

                                          ✍ योगेश बैरवा






Thursday 23 August 2018

किस से जाकर बोलूँ !



दिल भरा है दर्द से , जाकर कहा खोलू
सब खुद में मशरूफ है  , किस से जाकर बोलू ।

मैं चाहूँ जैसा हो यहाँ , ये तो कोई बात नहीं
जीवन है अपना अपना, किसी दूजे की सौगात नहीं
सावन भरा है बारिश से , मेरे आंसू क्यों लावारिश से
अगर गोद मिले सर रखने को , उस गोद में जाकर रोलू,
सब खुद में..............................

माना कातिल अपना था, पगला झूठा सा सपना था
कितना भी चाहा प्यार जाताना , उसे पाव जिगर पर रखना था
दिल जिगर सब सिकुड़ गए , बचा आंसू नादान सा
नींद हो मेहरबान अगर तो , चैन की नींद सोलू ।
सब खुद में ................................

ये शाम अजीब सी मुसीबत है , दिन ढला पर रात नहीं
पत्थर सा हो गया दिल मेरा , धङकन है  जज्बात नहीं
साँस अटकती है हर साँस में, लगता है रोग नया सा
कोई सांसे जरा सी उधार दे तो , उन सांसो के सहारे जीलू
सब खुद में ..................................

                                               ✍ योगेश बैरवा






ये मौसम है पतझड़ का

Ye moasam hai patjhad ka  tutata hai to tut jane do.. Uljhane saaf hogi ek din, hawaa to bhi akad dikhane do Duba hu samandar me, B...